The smart Trick of Shodashi That Nobody is Discussing
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पद्माक्षी हेमवर्णा मुररिपुदयिता शेवधिः सम्पदां या
षट्कोणान्तःस्थितां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥६॥
चक्रेश्या पुर-सुन्दरीति जगति प्रख्यातयासङ्गतं
हर्त्री स्वेनैव धाम्ना पुनरपि विलये कालरूपं दधाना
Immediately after eleven rosaries on the first day of starting While using the Mantra, it is possible to carry down the chanting to at least one rosary every day and chant eleven rosaries about the eleventh working day, on the last working day within your chanting.
ऐसा अधिकतर पाया गया है, ज्ञान और लक्ष्मी का मेल नहीं होता है। व्यक्ति ज्ञान प्राप्त कर लेता है, तो वह लक्ष्मी की पूर्ण कृपा प्राप्त नहीं कर सकता है और जहां लक्ष्मी का विशेष आवागमन रहता है, वहां व्यक्ति पूर्ण ज्ञान से वंचित रहता है। लेकिन त्रिपुर सुन्दरी की साधना जोकि श्री विद्या की भी साधना कही जाती है, इसके बारे में लिखा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण एकाग्रचित्त होकर यह साधना सम्पन्न कर लेता है उसे शारीरिक रोग, मानसिक रोग और कहीं पर भी भय नहीं प्राप्त होता है। वह दरिद्रता के अथवा मृत्यु के वश में नहीं जाता है। वह व्यक्ति जीवन में पूर्ण रूप से धन, यश, आयु, भोग और मोक्ष को प्राप्त करता है।
कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —
सेव्यं गुप्त-तराभिरष्ट-कमले सङ्क्षोभकाख्ये सदा ।
The Shodashi Mantra more info is really a 28 letter Mantra and thus, it is probably the easiest and most straightforward Mantras so that you can recite, bear in mind and chant.
हस्ते पाश-गदादि-शस्त्र-निचयं दीप्तं वहन्तीभिः
॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरी अपराध क्षमापण स्तोत्रं ॥
The noose symbolizes attachments, Whilst the goad signifies contempt, the sugarcane bow shows wants, and the flowery arrows characterize the 5 sense organs.
वन्दे वाग्देवतां ध्यात्वा देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥१॥
, the creeper goddess, inferring that she's intertwined along with her legs wrapped close to and embracing Shiva’s legs and overall body, as he lies in repose. As a digbanda, or protective force, she regulations the northeastern route from whence she offers grace and safety.